Petrol and Diesel Taxes: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा हैं कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाना चाहती है

Petrol and Diesel Taxes

 भारत में पेट्रोल और डीजल पर कर

Petrol and Diesel महत्वपूर्ण ईंधन हैं जो हमारे परिवहन और अर्थव्यवस्था को शक्ति प्रदान करते हैं। हालाँकि, उनका कराधान बहस और जांच का विषय रहा है। यहाँ आपको क्या जानना चाहिए:

1. वर्तमान कराधान संरचना :
Petrol and Diesel Taxes पर *अभी तक जीएसटी के तहत कर नहीं लगाया गया है*। इसके बजाय, वे अन्य करों के अधीन हैं:
– वैट (मूल्य वर्धित कर) : यह कर अलग-अलग राज्यों द्वारा लगाया जाता है और हर राज्य में अलग-अलग होता है।
– केंद्रीय उत्पाद शुल्क : केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है।
– केंद्रीय बिक्री कर : केंद्र सरकार द्वारा प्रशासित भी।
*एटीएफ (एविएशन टर्बाइन फ्यूल)* और *प्राकृतिक गैस* एक समान कराधान संरचना का पालन करते हैं।

Petrol and Diesel Taxes को जीएसटी में शामिल करने की केंद्र की मंशा

– केंद्रीय वित्त मंत्री *निर्मला सीतारमण* ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की *मंशा* व्यक्त की है।

– हालांकि, निर्णय *राज्यों* के पास है। उन्हें एक साथ आकर इस मामले पर आम सहमति बनाने की जरूरत है।

चुनौतियाँ और विचार

– राजस्व प्रभाव : मौजूदा उत्पाद शुल्क और वैट को राष्ट्रीय जीएसटी दर में शामिल करने से राज्य के राजस्व पर काफी असर पड़ सकता है।

– समय: सीतारमण ने कहा है कि इन ईंधनों को जीएसटी¹² के तहत लाने का यह **सही समय* नहीं है।

– जटिलता : ईंधन के लिए जीएसटी लागू करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना और समन्वय की आवश्यकता होती है।

Petrol and Diesel Taxes: जीएसटी परिषद के हालिया निर्णय

*53वीं जीएसटी परिषद की बैठक* में कई निर्णय लिए गए, जिनमें शामिल हैं:
– *कार्टन बॉक्स पर जीएसटी को 18% से घटाकर 12% करना*।
– *छोटे और मध्यम करदाताओं के लिए अनुपालन बोझ को कम करना*।
– *कर विभाग की अपीलों के लिए मौद्रिक सीमाएँ निर्धारित करना*।
– *भारतीय रेलवे द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं* और छात्रावास आवास सेवाओं (₹20,000 तक) को जीएसटी से छूट देना।

 वर्तमान परिदृश्य

1. मूल्य वर्धित कर (वैट): यह कर अलग-अलग राज्यों द्वारा लगाया जाता है और हर राज्य में अलग-अलग होता है। यह पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतों पर लागू होता है।

2. केंद्रीय उत्पाद शुल्क : केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल के उत्पादन पर यह शुल्क लगाती है। यह इन ईंधनों की कुल लागत में योगदान देता है।

3. केंद्रीय बिक्री कर : यह कर भी केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है और पेट्रोल और डीजल की कीमतों को प्रभावित करता है।

Petrol and Diesel Taxes: निर्मला सीतारमण का रुख

Petrol and Diesel Taxes

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र सरकार की मंशा व्यक्त की है कि पेट्रोल और डीजल को *जीएसटी ढांचे में शामिल किया जाए*। हालांकि, अंतत: निर्णय राज्यों को लेना है। दूसरे शब्दों में, यह राज्यों पर निर्भर है कि वे एक साथ मिलकर निर्णय लें कि इन ईंधनों को जीएसटी के दायरे में लाना है या नहीं¹।

Petrol and Diesel Taxes में क्यों शामिल नहीं किया गया?

1. राजस्व प्रभाव : मौजूदा उत्पाद शुल्क और वैट को एक ही राष्ट्रीय जीएसटी दर में शामिल करने से राजस्व पर काफी असर पड़ सकता है। मौजूदा कर राज्य और केंद्र के खजाने में काफी योगदान करते हैं।

2. समय : निर्मला सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का समय शायद सही न हो। इस निर्णय में आर्थिक संदर्भ और राजस्व संबंधी विचार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

3. समावेशी विकास और वृद्धि : सीतारमण सर्वांगीण, सर्वव्यापी और सर्व-समावेशी विकास पर जोर देती हैं। उनका विजन 2047 तक भारत को ‘विकसित भारत’ बनाना है, जिसमें समाज के सभी वर्ग शामिल हों¹।

4. आर्थिक प्रबंधन : पिछले एक दशक में, सरकार ने रिकॉर्ड समय में विभिन्न प्रकार के बुनियादी ढांचे (भौतिक, डिजिटल और सामाजिक) के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके अतिरिक्त, देश के सभी हिस्से आर्थिक विकास में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं¹।

3. राजकोषीय समेकन : चुनौतियों के बावजूद, सीतारमण ने वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में लगभग 24% संकुचन से अर्थव्यवस्था को सबसे तेजी से बढ़ने वाली विश्व अर्थव्यवस्था बनने तक पहुंचाया। उन्होंने राजकोषीय समेकन बनाए रखा, जिससे राजकोषीय घाटा जीडीपी³ के 5.6% तक कम हो गया।

4. नीतिगत प्राथमिकताएँ : मुख्य प्राथमिकताओं में कृषि क्षेत्र में तनाव को दूर करना, रोज़गार सृजन, पूंजीगत व्यय की गति को बनाए रखना और राजकोषीय समेकन पथ पर बने रहते हुए राजस्व वृद्धि को बढ़ावा देना शामिल है।

संक्षेप में, निर्मला सीतारमण की नीतियों का लक्ष्य समावेशी विकास, मज़बूत बुनियादी ढाँचा और राजकोषीय ज़िम्मेदारी है। उनका काम भारत की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण रहा है।

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